Sad Story in Hindi - गूंजती तन्हाई (Echoes of Solitude)
खोई हुई प्रेमिका की यादों में खोये इलियास की दुखद कहानी (sad story in hindi)। दोस्ती और लेखन की ताकत से अकेलेपन को मिटाकर, उम्मीद की धूप में आगे बढ़ता है.
आरोह शहर कभी चहल-पहल से भरपूर हुआ करता था, मगर अब वहां सिर्फ हवाओं की सिसकियां सुनाई देती थीं। ये हवाएं पुरानी इमारतों के बीच से गुजरती थीं, मानो वे किसी भुला दिए गए गीत के अधूरे स्वर गा रही हों। इसी शहर में रहता था एलियास, एक आदमी जिसकी आंखों में हमेशा एक उदास धुंध छाया रहता था। उसका हर दिन एक जैसे बीतता था, सुबह से शाम तक वही अकेलापन, रात भर सन्नाटे का वही मातम।
एलियास अकेला था, एक टूटा हुआ पतवार जिसकी जिंदगी समुद्र के विशाल फैलाव में बेमकसद घूम रही थी। वो सुनसान सड़कों पर चलता था, उसके कदमों की आवाज सन्नाटे को चीरती थी - मानो किसी खोई हुई आत्मा का विलाप हो। शहर के लोग उससे दूर रहते थे, उनकी नजरें हमेशा नीचे झुकी रहती थीं। जब वो उनके पास से गुजरता तो उनकी फुसफुसाहटें हवा में घुल जाती थीं।
लेकिन एलियास हमेशा से अकेला नहीं था। कभी उसके जीवन में भी संगीत हुआ करता था, प्यार का वो कोमल स्पर्श जिसने उसकी दुनिया को रोशन कर दिया था। कभी उसके साथ एक खूबसूरत महिला हुआ करती थी, जिसकी मुस्कान रात में चमकने वाले जुगनू से भी ज्यादा रोशन थी। मगर किस्मत एक बेरहम खिलाड़ी है, जिसने उस महिला को एलियास से छीन लिया। वो सिर्फ यादें और अकेलेपन का बोझ छोड़कर चली गई।
हर रात एलियास उस घर लौटता था, जिसे वो कभी अपनी प्यारी के साथ साझा करता था। अब दीवारें भी उसके दुःख को बयां करती थीं, उनसे मानो एक खामोश चीख निकलती थी। वो खिड़की के पास बैठ जाता था और रात के आसमान को निहारता था, जहां चांद अपनी चांदी सी चादर ओढ़े धरती को निहार रहा होता था। चांद भी उसका गम का गवाह बन चुका था।
एक शाम सूरज ढल रहा था। अचानक एलियास को शहर के परित्यक्त गिरजाघर जाने की तीव्र इच्छा हुई। वो गिरजाघर सालों से बंद था, उसकी ऊंची दीवारें दूर से ही दिखाई देती थीं, मानो वे किसी भूले हुए राज़ के पहरेदार हों। समय के थपेड़ों ने उसकी खिड़कियों के रंगीन शीशे तोड़ दिए थे।
एलियास गिरजाघर के अंदर दाखिल हुआ। यहां समय मानो ठहर सा गया था, हवा में सदियों पुरानी धूल कण घूम रहे थे। टूटी हुई खिड़कियों से थोड़ी सी रोशनी आ रही थी, जिसके सहारे एलियास वेदी तक पहुंचा। वेदी पर एक अकेली मोमबत्ती टिमटिमा रही थी, उसकी रोशनी उस विशाल जगह में खो सी गई थी। एलियास घुटनों के बल वेदी के सामने झुका और फुसफुसा कर प्रार्थना करने लगा, मानो स्वर्ग से कोई जवाब मांग रहा हो।
लेकिन स्वर्ग खामोश रहा। एलियास वहीं घुटनों के बल बैठा रहा, आंसुओं की धारा उसके गालों पर बह निकली। उसने अंधेरे को चीरते हुए पुकारा, उसकी आवाज खाली गिरजाघर में गूंज उठी और फिर धीरे-धीरे शांत हो गई।
तभी अचानक उस खामोशी में कुछ चमत्कारी हुआ। एक आवाज, कोमल और मधुर, पूरे गिरजाघर में गूंज उठी। वो आवाज किसी गीत की तरह थी, जिसने एलियास के दिल को छू लिया।
एलियास ने चौंक कर ऊपर देखा। उसके सामने धुंधली रोशनी में एक आकृति खड़ी थी। वो आकृति एलियास की प्रेमिका, सोफी, से मिलती-जुलती थी। उसकी पोशाक सफेद रोशनी में चमक रही थी, उसके बाल हवा में लहरा रहे थे। मगर उसका चेहरा धुंध में छिपा हुआ था।
एलियास की सांसें थम गईं। खुशी और सदमे के मारे वो कुछ बोल भी नहीं सका। वो सिर्फ सोफी की तरफ देखता रहा, मानो यकीन करना चाहता हो कि ये सपना नहीं है।
सोफी धीरे-धीरे एलियास के पास आई। उसने अपना हाथ बढ़ाया। एलियास ने भी अपना हाथ बढ़ाया, उसे छूने की तीव्र इच्छा से कांप रहा था। परन्तु जैसे ही उसका हाथ सोफी के हाथ को छूने वाला था, वो हाथ हवा में खो गया। एलियास का दिल बैठ गया।
"सोफी?" एलियास की आवाज फटी हुई थी। "क्या तुम हो?"
सोफी ने धीमी आवाज में जवाब दिया, "मैं हूँ एलियास, मगर मैं वो सोफी नहीं हूँ जिसे तुम जानते हो।"
एलियास चौंक गया। "तो तुम कौन हो?"
सोफी मुस्कुराई, उसकी मुस्कान कम रोशनी में रहस्यमयी लग रही थी। "मैं तुम्हारी यादों की गूंज हूँ। तुम्हारे प्यार की निशानी। मैं तुम्हें ये बताने आई हूँ कि तुम अकेले नहीं हो।"
एलियास को समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। "यादों की गूंज? मेरा प्यार?"
सोफी ने आगे कहा, "तुम्हारा प्यार सोफी के लिए हमेशा जिंदा रहेगा। तुम्हारे दिल में उसकी जो जगह है, वो कभी खाली नहीं होगी। लेकिन एलियास, जिंदगी रुकती नहीं है। तुम्हें आगे बढ़ना होगा।"
एलियास कुछ कहना चाहता था, मगर सोफी ने उसे रोक दिया। "जवाब मत ढूंढो एलियास। बस महसूस करो। अपने दिल की सुनो। शायद तुम्हें एक नई शुरुआत मिले।"
ये कहते हुए सोफी धीरे-धीरे फीकी पड़ने लगी, उसकी रोशनी कम होती गई। आखिर में वो पूरी तरह से गायब हो गई, मानो वो कभी थी ही नहीं।
एलियास वहीं वेदी पर बैठा रहा। गिरजाघर में फिर से सन्नाटा छा गया, सिर्फ मोमबत्ती की लौ टिमटिमा रही थी। मगर अब एलियास पहले जैसा नहीं था। सोफी की बातों ने उसके अंदर एक हलचल पैदा कर दी थी।
उसे लगा मानो उसके दिल का एक बोझ हल्का हो गया है। शायद सोफी सही कह रही थी। जिंदगी रुकती नहीं है। शायद अब उसे आगे बढ़ने का वक्त आ गया था।
एलियास ने धीरे-धीरे घुटने से उठकर खड़ा हुआ। उसने आखिरी बार वेदी पर जल रही मोमबत्ती की तरफ देखा और फिर गिरजाघर से बाहर निकल गया। रात के आसमान में चांद अभी भी चमक रहा था। एलियास ने चांद की तरफ देखा और धीमी आवाज में बोला, "शुक्रिया सोफी।"
एलियास अब भी अकेला था मगर अब वो अकेलेपन से नहीं डरता था। उसके दिल में अब भी सोफी के लिए प्यार था, मगर अब उसके साथ एक नई उम्मीद भी जगी थी, एक नई जिंदगी की शुरुआत की उम्मीद।
एलियास के दुखभरे समय का अंत (End of Elias' Sad story in hindi )
हफ्तों बीत गए। एलियास धीरे-धीरे अपने पुराने जीवन से निकलने लगा था। उसने अपनी दिनचर्या में बदलाव किए। सुबह जल्दी उठकर पार्क में घूमना शुरू किया, जहां वह अक्सर अन्य लोगों को दौड़ते या योग करते हुए देखता था। एक दिन उसने भी दौड़ने की कोशिश की। शुरूआत में तो उसे सांस लेने में तकलीफ हुई, पर हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उसकी आदत बन गई।
एक सुबह दौड़ते वक्त उसकी मुलाकात सारा से हुई। सारा एक हंसमुख और ऊर्जावान लड़की थी। वह भी हर रोज सुबह पार्क में दौड़ने आती थी। उनकी मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया। वे साथ दौड़ते, बातें करते, एक-दूसरे को अपनी जिंदगी के बारे में बताते। सारा को एलियास की कहानी सुनकर दुख हुआ, पर उसने उसे हिम्मत भी दी।
कुछ समय बाद एलियास को एहसास हुआ कि वह सारा के साथ रहते हुए खुश रहता है। उसकी मौजूदगी में उसे अकेलापन महसूस नहीं होता। सारा की हंसी मानो उसके जीवन में एक नया संगीत भर देती थी।
एक शाम पार्क में बैठते हुए एलियास ने सारा का हाथ अपने हाथ में लिया। सारा चौंकी नहीं, उसने भी एलियास का हाथ थाम लिया। उसकी आंखों में एलियास को एक खास चमक दिखाई दी।
"सारा," एलियास ने धीमी आवाज में कहा, "मुझे नहीं पता तुम मेरे लिए क्या महसूस करती हो, पर मैं तुम्हें ये बताना चाहता हूँ कि तुम मेरी जिंदगी में खुशियां लेकर आई हो। तुम्हारे साथ रहते हुए मुझे ऐसा लगता है मानो मेरा दिल फिर से धड़कना शुरू हो गया है।"
सारा ने मुस्कुराते हुए कहा, "एलियास, मुझे भी तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है। तुम्हारी कहानी सुनकर मेरा दिल दुखा था, पर मुझे खुशी है कि तुम अब आगे बढ़ने के लिए तैयार हो।"
उनके होठों पर एक मुस्कान खिल उठी। शायद यह प्यार नहीं था, पर यह एक नई शुरुआत थी। एलियास को एहसास हुआ कि सोफी की यादें हमेशा उसके दिल में रहेंगी, पर अब उसके पास सारा का साथ भी था। शायद जिंदगी उसे एक नया प्यार देना चाहती थी, धीरे-धीरे, वक्त के साथ।
उसने सूरज को डूबते हुए देखा। आकाश का रंग बदल रहा था, पीला, नारंगी, और फिर गहरा लाल। एक नया दिन खत्म हो रहा था, पर एलियास जानता था कि कल एक नया सूर्य उदय होगा, एक नई उम्मीद के साथ।
हफ्तों बीत गए। एलियास धीरे-धीरे अपने पुराने जीवन से निकलने लगा था। उसने अपनी दिनचर्या में बदलाव किए। सुबह जल्दी उठकर पार्क में घूमना शुरू किया, जहां वह अक्सर अन्य लोगों को दौड़ते या योग करते हुए देखता था। एक दिन उसने भी दौड़ने की कोशिश की। शुरूआत में तो उसे सांस लेने में तकलीफ हुई, पर हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उसकी आदत बन गई।
एक सुबह दौड़ते वक्त उसकी मुलाकात सारा से हुई। सारा एक हंसमुख और ऊर्जावान लड़की थी। वह भी हर रोज सुबह पार्क में दौड़ने आती थी। उनकी मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया। वे साथ दौड़ते, बातें करते, एक-दूसरे को अपनी जिंदगी के बारे में बताते। सारा को एलियास की कहानी सुनकर दुख हुआ, पर उसने उसे हिम्मत भी दी।
कुछ समय बाद एलियास को एहसास हुआ कि वह सारा के साथ रहते हुए खुश रहता है। उसकी मौजूदगी में उसे अकेलापन महसूस नहीं होता। सारा की हंसी मानो उसके जीवन में एक नया संगीत भर देती थी।
एक शाम पार्क में बैठते हुए एलियास ने सारा का हाथ अपने हाथ में लिया। सारा चौंकी नहीं, उसने भी एलियास का हाथ थाम लिया। उसकी आंखों में एलियास को एक खास चमक दिखाई दी।
"सारा," एलियास ने धीमी आवाज में कहा, "मुझे नहीं पता तुम मेरे लिए क्या महसूस करती हो, पर मैं तुम्हें ये बताना चाहता हूँ कि तुम मेरी जिंदगी में खुशियां लेकर आई हो। तुम्हारे साथ रहते हुए मुझे ऐसा लगता है मानो मेरा दिल फिर से धड़कना शुरू हो गया है।"
सारा ने मुस्कुराते हुए कहा, "एलियास, मुझे भी तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है। तुम्हारी कहानी सुनकर मेरा दिल दुखा था, पर मुझे खुशी है कि तुम अब आगे बढ़ने के लिए तैयार हो।"
उनके होठों पर एक मुस्कान खिल उठी। शायद यह प्यार नहीं था, पर यह एक नई शुरुआत थी। एलियास को एहसास हुआ कि सोफी की यादें हमेशा उसके दिल में रहेंगी, पर अब उसके पास सारा का साथ भी था। शायद जिंदगी उसे एक नया प्यार देना चाहती थी, धीरे-धीरे, वक्त के साथ।
उसने सूरज को डूबते हुए देखा। आकाश का रंग बदल रहा था, पीला, नारंगी, और फिर गहरा लाल। एक नया दिन खत्म हो रहा था, पर एलियास जानता था कि कल एक नया सूर्य उदय होगा, एक नई उम्मीद के साथ।
कुछ महीने बीत गए। एलियास और सारा की दोस्ती गहरी होती गई। वे एक-दूसरे का सहारा बन गए। एलियास ने सोफी के लिए लिखी पुरानी कविताओं को फिर से पढ़ना शुरू किया। अब उसे उन कविताओं में सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि एक खूबसूरत अतीत की झलक दिखाई देती थी।
एक शाम पार्क में बैठे हुए एलियास ने सारा को वो कविताएं सुनाईं। सारा ने ध्यान से सुना, उसकी आंखों में कविताओं का भाव झलक रहा था। कविताएं खत्म होने के बाद सारा ने कहा, "एलियास, ये कविताएं बहुत खूबसूरत हैं। तुम लिखना जारी रखो।"
एलियास मुस्कुराया। "शायद अब मुझे जिंदगी के बारे में नई कविताएं लिखनी चाहिए।"
सारा ने उसके हाथ को धीरे से दबाया। "हाँ, एलियास, जिंदगी के बारे में, प्यार के बारे में, और उम्मीद के बारे में।"
उसी शाम सूर्यास्त के नजारे को देखते हुए एलियास को लगा कि उसके जीवन में रंग लौट रहे हैं। सोफी की यादें अब एक मधुर गीत की तरह थीं, जो उसे अतीत की सुखद याद दिलाती थीं। सारा का साथ एक नई धुन बनकर उसके जीवन में बज रहा था, एक ऐसी धुन जो भविष्य की खुशियों का वादा करती थी।
कुछ समय बाद, शहर में एक कला प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। एलियास ने अपनी कविताओं को इस प्रदर्शनी में शामिल करने का फैसला किया। सारा ने उसकी हर कदम पर हौसला बढ़ाया। प्रदर्शनी के दिन एलियास थोड़ा घबराया हुआ था, पर सारा का हाथ थामकर वह आत्मविश्वास से प्रदर्शनी हॉल में दाखिल हुआ।
हॉल में बहुत से लोग कलाकृतियों को निहार रहे थे। कुछ लोग एलियास की कविताओं को पढ़ रहे थे, उनके चेहरों पर भाव बदल रहे थे - कभी मुस्कान, कभी सोच में पड़ जाते। एक कोने में खड़ी एक उम्रदराज महिला एलियास की एक कविता को पढ़कर रुकी। उसने एलियास को देखा और मुस्कुराई।
"आपने ये कविता लिखी है?" महिला ने पूछा।
एलियास ने सिर हिला दिया।
"बहुत खूबसूरत है," महिला ने कहा। "प्यार और अकेलेपन का इतना सच्चा चित्रण। क्या आप जानते हैं, कभी-कभी अकेलेपन से निकलने के लिए हमें पीछे मुड़कर नहीं, बल्कि आगे देखना होता है।"
एलियास महिला की बातों पर गौर से सुन रहा था। महिला ने अपना परिचय दिया, "वैसे, मेरा नाम चित्रा है। मैं खुद एक लेखिका हूँ।"
उस शाम एलियास और चित्रा की देर रात तक बातें हुईं। चित्रा ने एलियास की कविताओं की सराहना की और उन्हें प्रोत्साहित किया। उसने एलियास को एक लेखन कार्यशाला में शामिल होने का भी सुझाव दिया।
कुछ हफ्तों बाद एलियास ने कार्यशाला में भाग लिया। वहां उसने कई अन्य लेखकों से मुलाकात की, उनकी कहानियां सुनीं और अपनी कहानियां भी साझा कीं। कार्यशाला ने उसे न सिर्फ एक लेखक के रूप में निखारा बल्कि नए दोस्त भी दिलाए।
धीरे-धीरे एलियास का जीवन बदल रहा था। वह अब अकेलापन महसूस नहीं करता था। सारा का साथ और नए दोस्तों की संगति उसे खुश रखती थी। उसकी कविताएं अब शहर की पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी थीं।
एक शाम पार्क में बैठे हुए एलियास ने सारा को बताया कि उसे एक किताब प्रकाशक से अपनी कविताओं का संग्रह प्रकाशित करने का प्रस्ताव मिला है। सारा खुशी से झूम उठी। उसने एलियास को गले लगा लिया।
"तुम ये कर सकते हो एलियास," सारा ने कहा। "तुम्हारे पास लिखने की अद्भुत प्रतिभा है।"
उस रात एलियास देर रात तक जागा रहा। उसने सोफी को याद किया। उसने मन ही मन में सोचा कि काश वो भी इस खुशी का हिस्सा होती। मगर फिर उसने सारा की तरफ देखा जो सो चुकी थी। एलियास को एहसास हुआ कि जिंदगी उसे एक नया मौका दे रही थी, प्यार करने का, खुश रहने का, और उम्मीद के साथ आगे बढ़ने का।
सुबह सूरज की पहली किरणें कमरे में आईं। एलियास ने मुस्कुराते हुए आँखें खोलीं। एक नया दिन, एक नई शुरुआत, और शायद उसके जीवन का सबसे सुंदर अध्याय लिखने का वक्त आ गया था।
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